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Sunday 12 October 2014

महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव परिपक्वता दिखाने का एक मौका

मतदाता सही दबायेंगे ईवीएम की बटन

1.  राजनीतिक दलों का टूटा गठबंधन बनेगा वरदान
2.  मतदाता ना चूके ये समय ने दिया ये अवसर
3.  वोटर दें किसी एक राजनीतिक दल को पूरा बहुमत
4.  राष्ट्रीय हित-अहित देखकर ही करें मतदान
5.  अब वोटरों का हर कदम प्रजातंत्र को मजबूती और दिशा देने वाला हो

आगामी 15 अक्टूबर सन् 2014 को महाराष्ट और हरियाणा विधान सभाओं के आम चुनाव हैं। केन्द्र सरकार में लोकसभा के हुए आम चुनावों को हुए अभी आधा साल भी नहीं बीता है। बीते संसदीय चुनावों में मतदाताओं ने जिस प्रकार एक दल को रिकार्ड बहुमत देकर संघ की सत्ता सौंपी वह काबिले तारिफ ही नहीं वंदनीय है। मतदाता ही हैं जिन्होंने देश में गठबंधन को हटाकर किसी एक दल को बिना किसी लाग-लपेट के राज सौंपकर एक सशक्त भारत बनाने की ओर कदम बढ़ाया है। अब गेंद राज करने वाले दल के पाले में है, जिसकी दिशा भविष्य बतायेंगा।
अब यहीं मौका लोकसभा चुनावों के बाद जल्द ही समय ने हमें दिया है। आगामी 15 अक्टूबर 2014 को महाराष्ट्र और हरियाणा में विधान सभा के आम चुनावों की वोटिंग हैं। ये दोनों चुनाव मतदाताओं के लिए तात्कालिक तौर एक सुअवसर हैं। दोनों राज्यों में हो रहे इन चुनावों में भारत के लोकतंत्र को समय ने एक वरदान दिया है। वोटरों को चाहिए की वे एक गलत कदम ना उठाएं। उल्टी दिशा में उठे मतदाताओं के कदम उनकी परिपक्व हो रही मानसिक आयु पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देंगा।
 ऐसी ही कोई गल्ती को होने से रोकने के लिए राष्ट्र वोटरों की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है। भारत को हर हालत में सन् 2020 तक आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक तौर पर भी एक विकसित देश बनकर अपनी असरदार भूमिका निभानी है। हिन्दुस्तान को सर्वधर्म समभाव की राह पर चलकर संसार की अगुवाई करनी है। देश को इस मुकाम तक कोई राजनीतिक दल नहीं बल्कि समझदार मतदाता ही ले जा सकते हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में हो रहे इन चुनावों में मतदाताओं को और कुछ नहीं करना है, बस किसी एक राजनीतिक दल के सिर पर ताज पहनाना है। वोटरों के इस कदम से राजनीति की वॉशिंग तो होगी होगी ही, दूसरी ओर  राजनीतिक दल संयमित ही नहीं आगाह भी होंगे।
महाराष्ट्र में हो रहे विधान सभा चुनावों में चारों बड़े दल स्वतंत्र चुनाव लड़ रहे हैं। आज के युवा मानसिक आयु वाले वोटरों की नजरों के सामने विकास अहम है, तो वहीं देश की एकता और अखंडता सर्वोपरि। परंपरावादी और सकुचित सोच का आज के जीवन में कोई महत्व नहीं। विकास के मुकाम को किसी एक दल को बहुमत देकर ही प्राप्त किया जा सकता है। गठबंधन और क्षेत्रीय दलों को तिलांजली देकर ही देश की एकता और अखंडता को मजबूत बनाया जा सकता है। व्यापक आधुनिक सोच के सामने संकुचित विचार ठहर नहीं पायेंगे। ऐसा नहीं है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में वोटरों ने पहली बार कमजोर शासन को हटाया है। 
इन लोकसभा चुनावों से पहले भी उत्तर प्रदेश, बिहार और दूसरे राज्यों में हुए विधान सभा के आम चुनावों में जनता ने अपनी परिपक्व मानसिक आयु का परिचय देकर एक दल को रिकॉर्ड बहुमत देकर लोकतंत्र को विकसित बनाने का परिचय दिया है। उत्तरप्रदेश में जनता ने पहले दलित की बेटी को मायावती को सराकों पर बिठाया, उसके बाद समाजवादियों को समाज की कमान दी है। भाजपा को साथ लेकर नीतिश कुमार के जरिये बिहार को व्यक्तिवादी शासन के कहर से निजात दिलाई।
मुझे लगता है, महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों में वोटर इस बार अपने दूरगामी लक्ष्य को साधने के लिए केन्द्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार को देखते हुए, महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों में विजयश्री का ताज भारतीय जनता पार्टी के सिर पर ही पहनाएंगी। बीजेपी की जीत लगभग सुनिश्चित है। 
यदि जनता जनार्दन ऐसा नहीं करना चाहे तो वह अपने प्रदेश की बागडौर भावी महिला मुख्यमंत्री एनसीपी की नेता सुप्रिया सूले को दे सकती है। तीसरे नम्बर पर आती है, स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे की पार्टी। लम्बे समय तक सिंहासन सुख भोगने से पैदा बुराईयों के कारण, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का तो इस क्रम में चौथा नम्बर लगता है। आखिर में आती है नई-नवेली महाराष्ट्र नव निर्माण सेना, जिसे अभी और लम्बा संघर्ष करना है। 
रही बात हरियाणा राज्य के चुनावों की तो इस राज्य में लंबे समय से राज कर रही कांग्रेस के बाद जनता शासन क्रम पलटना ही है। इस नाते हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ही स्वाभाविक तौर से सत्ता पर काबिज होगी। हरियाणा में आम आदमी पार्टी विधान सभा के चुनाव नहीं लड़ने के कारण भाजपा के रास्ते में कोई रोड़ा भी नहीं है। मायावादी की बहुजन समाज पार्टी भी हरियाणा के चुनाव मैंदान से बाहर है। वहीं समाजवादियों का का इस राज्य में कोई वजूद नहीं है।
इन द्वन्द्वों के बीच आखिरकार मतदाता विधान सभा के इन चुनावों में किसी एक दल को पूरा बहुमत देकर अपने प्रदेश के साथ-साथ देश के लोकतंत्र को एक मजबूत दिशा देंगे। अपनी मानसिक आयु के बढ़ते ग्राफ को नींचे नहीं ले जायेंगे। देश के साथ-साथ मैं भी जनता जनार्दन की ओर इसी आशा भरी नजरों से देख रहा हूं। मेरे देश वे निराश नहीं करेंगे।
(इदम् राष्ट्राया स्वा:, इदम् राष्ट्राया, इदम् न मम्) 

1 comment:

  1. इन दोनों प्रदेशोंं में मतगणना के बाद हरियाणा में बीजेपी सबसे अधिक सीटें लेकर भारी बहुमत से विजयी हुई। वहीं बीजेपी महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आकर सरकार बनाने की अगवाई कर रही है।

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